BA Semester-1 Raksha Evam Strategic Study - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-1 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :250
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2635
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-1 रक्षा एवं सैन्य अध्ययन

अध्याय - 6

आधुनिक युद्धकर्म

(Modern Warfare)

 

प्रश्न- आधुनिक युद्ध की प्रकृति और विशेषताओं की विस्तार से व्याख्या कीजिए।

उत्तर-

आधुनिक युद्धों की प्रकृति
(Nature of Modern War)

युद्ध एक सामाजिक तथ्य है जो सामाजिक विकास के साथ-साथ विकसित होता रहा है। समाज के किसी भी क्षेत्र में जब भी कोई परिवर्तन हुआ है तो उसका प्रभाव युद्ध कला पर अवश्य पड़ा है, इसलिए युद्ध कला समय-समय पर परिवर्तित होती रही है। प्रारम्भ में युद्ध केवल सैनिकों तथा शासन के द्वारा ही लड़े जाते थे तथा युद्धों को व्यवस्थित करने का उत्तरदायित्व केवल राजा का हुआ करता था तथा राजा का कर्त्तव्य अपने राज्य तथा जनता की सुरक्षा करना होता था, किन्तु आधुनिक समय में युद्धों का स्वरूप पूरी तरह बदल गया है अब युद्ध केवल राजा तथा सैनिकों का कर्तव्य नहीं है बल्कि सम्पूर्ण राष्ट्र की जनता किसी न किसी रूप में राष्ट्र की सुरक्षा तथा युद्ध में विजय के लिये महत्वपूर्ण योगदान करती है। आधुनिक युग में होने वाले युद्धों की प्रकृति और विशेषताओं को निम्नलिखित शीषर्कों के अन्तर्गत व्यक्त किया जा सकता है-

1. आधुनिक युद्ध विश्व व्यापी है- आधुनिक युग में वैज्ञानिक एवं तकनीकी विकास के कारण यातायात एवं संचार साधनों का विकास हुआ है जिसके कारण गतिशीलता में वृद्धि हुई है। गतिशीलता ही के कारण विश्व के विभिन्न देशों के बीच की दूरी अब बाधक नहीं रह गई है। आज आर्थिक दृष्टिकोण से विश्व के समस्त राष्ट्र किसी न किसी रूप में कुछ न कुछ अंशों में अवश्य निर्भर है। ऐसी परिस्थितियों में जब विश्व में कोई युद्ध छिड़ता हैं तो एक-एक कर विश्व के समस्त राष्ट्र इसके प्रभाव क्षेत्र में किसी न किसी प्रकार आ जाते हैं। अतः इन्हीं कारणों से आधुनिक युद्ध विश्वव्यापी बन गया है।

2. आधुनिक युद्ध अत्यधिक यंत्रीकृत है आधुनिक युग वैज्ञानिक तथा तकनीकी के क्षेत्र में बहुत विकसित हो चुका है। इसी वैज्ञानिक विकास के कारण ही अनेक नवीन युद्ध यन्त्रों एवं उपकरणों का विकास सम्भव हो सका है। आधुनिक युद्धों में ऐसे-ऐसे नवीन यन्त्रों का प्रयोग किया जा रहा है, जो पहले कभी भी प्रयोग नहीं किये गये थे। आधुनिक युद्धों में वायुयान, जलयान तथा टैंक' आदि अत्यधिक विकसित तथा यंत्रीकृत है। इनके प्रयोग से युद्धों में विजय आसानी से देखी जा सकती है। द्वितीय विश्वयुद्ध में प्रयुक्त हुए हथियारों तथा परमाणु बम के प्रयोग को देखकर यह कहा जा सकता है कि आधुनिक युद्ध मशीनों का युद्ध हो गया है और जिस राष्ट्र के पास अधिक श्रेष्ठ यन्त्र होंगे वही राष्ट्र युद्धों में आसानी से सफलता प्राप्त कर सकता है इसीलिए कहा जाता है कि आधुनिक युद्ध अत्यधिक यंत्रीकृत है। ज

3. आधुनिक युद्ध समग्र है आधुनिक युद्धों में राष्ट्र की समस्त शक्ति साधन एवं क्षमता का प्रयोग होता है इसलिए यह कहा जा सकता है कि आधुनिक युद्ध राष्ट्र की क्षमता की कसौटी है। आधुनिक युद्धों में राष्ट्र के सैनिकों के साथ ही असैनिकों को भी युद्धों में सहयोग करना पड़ता है। पहले युद्ध केवल सीमा पर या मैदानों में सैनिकों के मध्य लड़े जाते थे, किन्तु आधुनिक युद्धों में सीमा ही नहीं राष्ट्र के भीतर नगरों, गाँवों, कस्बों, औद्योगिक प्रतिष्ठानों, रक्षा संस्थानों, कारखानों एवं अन्य महत्वपूर्ण स्थानों पर भी सैनिक कार्यवाही की जाती है। इस सैन्य कार्यवाही के अन्तर्गत इन महत्वपूर्ण स्थानों पर बमबारी करके इन्हें नष्ट किया जाता है। युद्धों के विस्तार को देखते हुए ही यह कहा जाता है कि आधुनिक युद्ध समग्र है।

4. आधुनिक युद्ध अत्याधिक गतिशील है आधुनिक युग में यातायात एवं संचार साधनों के विकास ने आधुनिक युद्ध को अत्याधिक गतिशील बना दिया है। दूसरे शब्दों में इन युद्धों को ब्लिट्ज (Blitz) अर्थात बिजली की चमक की गति से चलने वाला युद्ध कहा जाता है। आधुनिक युद्धों को अचानक ही अत्यधिक शक्ति के साथ-साथ तीव्र प्रहार कर शत्रु के सम्हलने के पूर्व ही खत्म करने की तकनीक अपनाई जाती है। इस प्रकार के युद्धों की तैयारी शान्ति काल ही से कर ली जाती है ताकि समय आने पर इसमें कोई दोष न पैंदा हो जाये। हिटलर ने ऐसे युद्धों के द्वारा ही अनेकों सफलतायें प्राप्त की थी। खाड़ी युद्ध में 'आपरेशन डीजर्ट स्टॉर्म' में अमेरिका ने ईराक के विरुद्ध यही तकनीकी अपनाई थी। सन् 2001 में अफगानिस्तान में ऑपरेशन इन्फाइनाइट जस्टिस के तहत भी अमेरिका ने तालिबान के विरुद्ध ऐसे ही युद्ध का प्रयोग कर उसे परास्त किया था।

5. आधुनिक युद्ध महान व्यक्तियों का टकराव है आज कल के युद्ध विश्वव्यापी है, इसलिए जब भी कभी किन्हीं दो छोटी शक्तियों का टकराव होता है तो महान शक्तियाँ अपने-अपने स्वार्थों की पूर्ति के लिए इन छोटी ताकतों को अपना-अपना सहयोग प्रदान कर देते हैं। इनका उद्देश्य इन छोटी ताकतों के कन्धे पर बन्दूक रख कर चलाना होता है। ताकि विश्व के दूसरे राष्ट्र युद्ध का कारण इन छोटे राष्ट्रों को ही माने। इन महान शक्तियों में अमेरिका तथा रूस प्रमुख है। वास्तव में इन महान शक्तियों का उद्देश्य इन युद्धों के माध्यम से अपने शस्त्रास्त्रों का परीक्षण एवं बिक्री संसाधन, प्राप्ति तथा अत्याधिक जनमत प्राप्त करके अपनी श्रेष्ठता सिद्ध करना होता है। इन छोटे युद्धों में ये बड़ी शक्तियाँ प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष किसी न किसी रूप में हस्तक्षेप अवश्य करती है। इस प्रकार से यह महान शक्तियाँ इन छोटी शक्तियों के द्वारा अपना मतलब सीधा कर लेती है। इसी कारण द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात् से आज तक हुए छोटे-मोटे युद्धों का समाधान नहीं हो सका है।

6. आधुनिक युद्ध मनुष्यों का युद्ध है- आधुनिक युद्धों में यंत्रों का प्रयोग बढ़ जाने से ऐसा प्रतीत होने लगा था कि अब युद्ध यंत्रों का ही युद्ध है, परन्तु 1965 एवं 1971 के भारत-पाक संघर्ष एवं अरब-इजराइल संघर्षो ने यह सिद्ध कर दिया कि युद्धों में यंत्रों की अपेक्षा प्रशिक्षित कुशल सैनिकों का महत्व अधिक है। आधुनिक युद्धों में अनेकों प्रकार के शस्त्रास्त्रों एवं कूट- चालों का प्रयोग किया जाता है। यदि कुशल सैनिकों का अभाव होगा तो इन शस्त्रास्त्रों का प्रयोग तथा सामना नहीं किया जा सकता है। कूटचालों में फंसकर अच्छे से अच्छे शस्त्र भी बेकार हो जाते हैं इसलिए कुशल व प्रशिक्षित सैनिकों का महत्व अधिक हो गया है।

7. आधुनिक युद्ध की समयाविधि अल्प होती है - आधुनिक युद्धों में यंत्रों का प्रयोग होने से इन युद्धों में गतिशीलता में वृद्धि हो गई है तथा इन यंत्रों के माध्यम से युद्धों को जल्द से जल्द समाप्त किया जा सकता है। इन यन्त्रों तथा शस्त्रों का प्रयोग अत्याधिक महंगा भी है। अधिक दिन तक चलने वाले युद्धों में राष्ट्र की आर्थिक व्यवस्था असुन्तलित हो सकती है इसलिए युद्धों को शीघ्र से शीघ्र संमाप्त करने की चेष्टा की जाती है। इस प्रकार से अगर यह कहा जाये तो भी उचित होगा कि आधुनिक युद्ध प्रणाली अत्याधिक महंगी होने के कारण युद्धों को अधिक समय तक चलाना सम्भव नहीं है शायद इसीलिए द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से अब तक कोई भी युद्ध अधिक समय तक नहीं चला है।

8. आधुनिक युद्ध स्थायी है - आधुनिक युद्ध स्थायी है, क्योंकि वास्तविक युद्ध शुरू होने से पूर्व शीत युद्ध के रूप में, फिर हिंसात्मक युद्ध वास्तविक युद्ध के रूप में, और वास्तविक युद्ध समाप्त होने के बाद भी शीत युद्ध चलता ही रहता है। इसी आधार पर आधुनिक युद्धों को स्थायी प्रकृति वाले युद्ध कहा जाता है। कुछ विचारकों के अनुसार आधुनिक युद्ध सदैव चलते रहते हैं केवल उनका रूप बदलता रहता है क्योंकि शान्तिकाल युद्ध की तैयारी का समय मात्र है।

9. आधुनिक युद्ध में मनौवैज्ञानिक क्रियायें होती है - आधुनिक युद्धों का उद्देश्य शत्रु देश को युद्धारम्भ होने से पूर्व ही पराजित करने का होता है। हिटलर के अनुसार "हमारा वास्तविक युद्ध वस्तुतः सैन्य कार्यवाही से पूर्व ही आरम्भ होना चाहिए।" आधुनिक युद्ध कला में मनोविज्ञान का विशेष महत्व है। आज प्रत्येक देश विरोधी देश के मनोबल को गिराने का प्रयास करता है ताकि वह आत्मसमर्पण कर दे। प्रत्येक देश थोड़े से विनाश के बाद ही विजयी होना चाहता है, अतः वह प्रचार साधनों के द्वारा शत्रु के मनोबल को परास्त करने का प्रयास करता है। आधुनिक युद्धों में वास्तविक युद्ध प्रारम्भ होने से पूर्व ही प्रचार कार्य प्रारम्भ हो जाता है, जिसे 'प्रचार युद्ध' कहते हैं। यह कार्यवाहियां वास्तविकता से परे होती है तथा उनका वर्णन तोड़-मरोड़ कर किया जाता है। प्रचार के द्वारा शत्रु की एकता को भी तोड़ने का प्रयास किया जाता है।

निष्कर्ष निष्कर्ष के रूप में हम यह कह सकते हैं कि युद्धों का स्वरूप एवं उसकी प्रकृति, समकालीन विकास के अनुरूप होती है और आज भी है। युद्धों के स्वरूप में परिवर्तन अवश्य होता रहा है लेकिन इसे न कभी समाप्त किया जा सका है और न ही अभी ऐसी कोई सम्भावना नजर आ रही है। आधुनिक युद्धों की प्रकृति का अध्ययन करके हमें यह भी प्रतीत होता है कि भावी युद्ध अत्याधिक भयानक होंगे। इतना अवश्य कहा जा सकता है कि युद्ध अत्याधिक विनाश को बचाने के लिए सीमित होंगे या सर्वविनाश की स्थिति होगी, जब सभ्यता दोबारा पाषाण युग में प्रवेश करेगी।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- स्त्रातेजी अथवा कूटयोजना (Strategy) का क्या अभिप्राय है? इसकी विभिन्न परिभाषाओं की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
  2. प्रश्न- स्त्रातेजी का उद्देश्य क्या है? स्त्रातेजी के उद्देश्यों की पूर्ति के लिये क्या उपाय किये जाते हैं?
  3. प्रश्न- स्त्रातेजी के सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
  4. प्रश्न- महान स्त्रातेजी पर एक लेख लिखिये तथा स्त्रातेजी एवं महान स्त्रातेजी में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
  5. प्रश्न- युद्ध कौशलात्मक भूगोल से आप क्या समझते हैं? सैन्य दृष्टि से इसका अध्ययन क्यों आवश्यक है?
  6. प्रश्न- राष्ट्रीय नीति के साधन के रूप में युद्ध की उपयोगिता पर प्रकाश डालिये।
  7. प्रश्न- स्त्रातेजी का अर्थ तथा परिभाषा लिखिये।
  8. प्रश्न- स्त्रातेजिक गतिविधियाँ तथा चालें किसे कहते हैं तथा उनमें क्या अन्तर है?
  9. प्रश्न- महान स्त्रातेजी (Great Strategy) क्या है?
  10. प्रश्न- पैरालिसिस स्त्रातेजी पर प्रकाश डालिये।
  11. प्रश्न- युद्ध की परिभाषा दीजिए। इसकी विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  12. प्रश्न- युद्धों के विकास पर एक विस्तृत लेख लिखिए।
  13. प्रश्न- युद्ध से आप क्या समझते है? युद्ध की विशेषताएँ बताते हुए इसकी सर्वव्यापकता पर प्रकाश डालिए।
  14. प्रश्न- युद्ध की चक्रक प्रक्रिया (Cycle of war) का उल्लेख कीजिए।
  15. प्रश्न- युद्ध और शान्ति में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  16. प्रश्न- युद्ध से आप क्या समझते हैं?
  17. प्रश्न- वैदिककालीन सैन्य पद्धति एवं युद्धकला का वर्णन कीजिए।
  18. प्रश्न- राजदूतों के कर्तव्यों का विशेष उल्लेख करते हुए प्राचीन भारत की युद्ध कूटनीति पर एक निबन्ध लिखिये।
  19. प्रश्न- समय और कालानुकूल कुरुक्षेत्र के युद्ध की अपेक्षा रामायण का युद्ध तुलनात्मक रूप से सीमित व स्थानीय था। कुरुक्षेत्र के युद्ध को तुलनात्मक रूप में सम्पूर्ण और 'असीमित' रूप देने में राजनैतिक तथा सैन्य धारणाओं ने क्या सहयोग दिया? समीक्षा कीजिए।
  20. प्रश्न- वैदिक कालीन "दस राजाओं के युद्ध" का वर्णन कीजिये।
  21. प्रश्न- महाकाव्यों के काल में युद्धों के वास्तविक कारण क्या होते थे?
  22. प्रश्न- महाकाव्यों के काल में युद्ध के कौन-कौन से नियम होते थे?
  23. प्रश्न- महाकाव्यकालीन युद्ध के प्रकार एवं नियमों की विवेचना कीजिए।
  24. प्रश्न- वैदिक काल के रण वाद्य यन्त्रों के बारे में लिखिये।
  25. प्रश्न- पौराणिक काल में युद्धों के क्या कारण थे?
  26. प्रश्न- प्राचीन भारतीय सेना के युद्ध के नियमों को बताइये।
  27. प्रश्न- युद्ध के विभिन्न सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
  28. प्रश्न- युद्धों के सिद्धान्तों में प्रशासन (Administration) का क्या महत्व है?
  29. प्रश्न- नीति के साधन के रूप में युद्ध के प्रयोग पर सविस्तार एक लेख लिखिए।
  30. प्रश्न- राष्ट्रीय नीति के साधन के रूप में युद्ध की उपयोगिता पर प्रकाश डालिये।
  31. प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति के निर्माण में युद्ध की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  32. प्रश्न- अतीत को युद्धों की तुलना में वर्तमान समय में युद्धों की संख्या में कमी का क्या कारण है? प्रकाश डालिए।
  33. प्रश्न- आधुनिक युद्ध की प्रकृति और विशेषताओं की विस्तार से व्याख्या कीजिए।
  34. प्रश्न- आधुनिक युद्ध को परिभाषित कीजिए।
  35. प्रश्न- गुरिल्ला स्त्रातेजी पर माओत्से तुंग के सिद्धान्तों का उल्लेख करते हुए गुरिल्ला युद्ध के चरणों पर प्रकाश डालिए।
  36. प्रश्न- चे ग्वेरा के गुरिल्ला युद्ध सम्बन्धी विभिन्न विचारों का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  37. प्रश्न- गुरिल्ला युद्ध (छापामार युद्ध) के उद्देश्यों का वर्णन कीजिए तथा गुरिल्ला विरोधी अभियान पर प्रकाश डालिए।
  38. प्रश्न- प्रति विप्लवकारी (Counter Insurgency) युद्ध के तत्वों तथा अवस्थाओं पर प्रकाश डालिए।
  39. प्रश्न- चीन की कृषक क्रान्ति में छापामार युद्धकला की भूमिका पर अपने विचार लिखिए।
  40. प्रश्न- चे ग्वेरा ने किन तत्वों को छापामार सैन्य संक्रिया हेतु परिहार्य माना है?
  41. प्रश्न- छापामार युद्ध कर्म (Gurilla Warfare) में चे ग्वेरा के योगदान की विवेचना कीजिए।
  42. प्रश्न- गुरिल्ला युद्ध में प्रचार की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  43. प्रश्न- गुरिल्ला युद्ध कर्म की स्त्रातेजी और सामरिकी पर प्रकाश डालिये।
  44. प्रश्न- छापामार युद्ध को परिभाषित करते हुए इसके सम्बन्ध में चे ग्वेरा की विचारधारा का वर्णन कीजिए।
  45. प्रश्न- लेनिन की गुरिल्ला युद्ध-नीति की विवेचना कीजिए।
  46. प्रश्न- गुरिल्ला युद्ध क्या है?
  47. प्रश्न- मनोवैज्ञानिक युद्ध कर्म पर एक निबन्ध लिखिए।
  48. प्रश्न- आधुनिक युद्ध क्या है? 'आधुनिक युद्ध अन्ततः मनोवैज्ञानिक है' विस्तृत रूप से विवेचना कीजिए।
  49. प्रश्न- सैन्य मनोविज्ञान के बढ़ते प्रभाव क्षेत्र का वर्णन कीजिए।
  50. प्रश्न- मनोवैज्ञानिक युद्ध के कौन-कौन से हथियार हैं? व्याख्या कीजिए।
  51. प्रश्न- प्रचार को परिभाषित करते हुए इसके विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  52. प्रश्न- अफवाह (Rumor) क्या है? युद्ध में इसके महत्व का उल्लेख करते हुए अफवाहों को नियंत्रित करने की विधियों का वर्णन कीजिए।
  53. प्रश्न- आतंक (Panic) से आप क्या समझते हैं? आंतंक पर नियंत्रण पाने की विधि का वर्णन कीजिए।
  54. प्रश्न- भय (Fear) क्या है? युद्ध के दौरान भय पर नियंत्रण रखने वाले विभिन्न उपायों का वर्णन कीजिए।
  55. प्रश्न- बुद्धि परिवर्तन (Brain Washing) क्या हैं? बुद्धि परिवर्तन की तकनीकों तथा इससे बचने के उपायों का उल्लेख कीजिए।
  56. प्रश्न- युद्धों के प्रकारों का उल्लेख करते हुए विशेष रूप से मनोवैज्ञानिक युद्ध का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  57. प्रश्न- युद्ध की परिभाषा दीजिए। युद्ध के सामाजिक, राजनैतिक, सैन्य एवं मनोवैज्ञानिक कारणों की विवेचना कीजिए।
  58. प्रश्न- कूटनीतिक प्रचार (Strategic Propaganda ) एवं समस्तान्त्रिक प्रचार (Tactical Propaganda ) में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
  59. प्रश्न- प्रचार एवं अफवाह में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  60. प्रश्न- मनोवैज्ञानिक युद्ध की उपयोगिता बताइये।
  61. प्रश्न- युद्ध एक आर्थिक समस्या के रूप में विवेचना कीजिए।
  62. प्रश्न- आर्थिक युद्ध की परिभाषा दीजिए। आर्थिक युद्ध कर्म पर एक निबन्ध लिखिए।
  63. प्रश्न- आधुनिक युद्ध राजनीतिक सैनिक कारणों की अपेक्षा सामाजिक आर्थिक कारकों के कारण अधिक होते हैं। व्याख्या कीजिए।
  64. प्रश्न- आर्थिक क्षमता से आप क्या समझते हैं?
  65. प्रश्न- आधुनिक युद्ध में आर्थिक व्यवस्था का महत्व बताइये।
  66. प्रश्न- युद्ध को प्रभावित करने वाले तत्वों में से प्राकृतिक संसाधन पर प्रकाश डालिए।
  67. प्रश्न- युद्ध कौशलात्मक आर्थिक क्षमताएँ व दुर्बलताएँ बताइये।
  68. प्रश्न- युद्धोपरान्त उत्पन्न विभिन्न आर्थिक समस्याओं का विश्लेषण कीजिये
  69. प्रश्न- युद्ध की आर्थिक समस्यायें लिखिए?
  70. प्रश्न- युद्ध के आर्थिक साधन क्या हैं?
  71. प्रश्न- परमाणु भयादोहन के हेनरी किसिंजर के विचारों की व्याख्या कीजिये।
  72. प्रश्न- आणविक भयादोहन पर एक निबन्ध लिखिये।
  73. प्रश्न- परमाणु भयादोहन और रक्षा के सन्दर्भ में निम्नलिखित सैन्य विचारकों के विचार लिखिए। (i) आन्द्रे ब्यूफ्रे (Andre Beaufre), (ii) वाई. हरकाबी (Y. Harkabi), (iii) लिडिल हार्ट (Liddle Hart), (iv) हेनरी किसिंजर (Henery Kissinger) |
  74. प्रश्न- परमाणु युग में सशस्त्र सेनाओं की भूमिका की विस्तृत समीक्षा कीजिए।
  75. प्रश्न- मैक्यावली से परमाणु युग तक के विचारों एवं प्रचलनों की विवेचना कीजिए।
  76. प्रश्न- आणविक युग में युद्ध की आधुनिक स्रातेजी को कैसे प्रयोग किया जायेगा?
  77. प्रश्न- 123 समझौते पर विस्तार से लिखिए।
  78. प्रश्न- परमाणविक युद्ध की प्रकृति एवं विशिष्टताओं का वर्णन कीजिए।
  79. प्रश्न- आणविक शीत से आप क्या समझते हैं?
  80. प्रश्न- नाभिकीय तनाव को स्पष्ट कीजिए।
  81. प्रश्न- परमाणु बम का प्रथम बार प्रयोग कब और कहाँ हुआ?
  82. प्रश्न- हेनरी किसिंजर के नाभिकीय सिद्धान्त का मूल्यांकन कीजिए।
  83. प्रश्न- व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबन्ध सन्धि (C.T.B.T) से आप क्या समझते हैं?
  84. प्रश्न- हरकावी के नाभिकीय भय निवारण- सिद्धान्त का मूल्यांकन कीजिए।
  85. प्रश्न- आणविक युग पर प्रकाश डालिए।
  86. प्रश्न- हर्काबी के नाभिकीय युद्ध संक्रिया सम्बन्धी विचारों की समीक्षा कीजिए।
  87. प्रश्न- रासायनिक तथा जैविक अस्त्र क्या हैं? इनके प्रयोग से होने वाले प्रभावों की विवेचना कीजिए।
  88. प्रश्न- रासायनिक युद्ध किसे कहते हैं? विस्तार से उदाहरण सहित समझाइए।
  89. प्रश्न- विभिन्न प्रकार के रासायनिक हथियारों पर प्रकाश डालिए।
  90. प्रश्न- जैविक युद्ध पर एक निबन्ध लिखिए।
  91. प्रश्न- रासायनिक एवं जैविक युद्ध कर्म से बचाव हेतु तुलनात्मक अध्ययन कीजिए।
  92. प्रश्न- रासायनिक एवं जीवाणु युद्ध को समझाइये |
  93. प्रश्न- जनसंहारक अस्त्र (WMD) क्या है?
  94. प्रश्न- रासायनिक एवं जैविक युद्ध के प्रमुख आयामों पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
  95. प्रश्न- विश्व में स्थापित विभिन्न उद्योगों में रासायनिक गैसों के उपयोग एवं दुष्प्रभाव परप्रकाश डालिए।
  96. प्रश्न- प्रमुख रासायनिक हथियारों के नाम एवं प्रभाव लिखिए।

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